मेरी लगी श्याम संग प्रीत ये दुनिया क्या जाने लिरिक्स

मेरी लगी श्याम संग प्रीत ये दुनिया क्या जाने लिरिक्स

मेरी लगी श्याम संग प्रीत, ये दुनिया क्या जाने,
मुझे मिल गया मन का मीत, ये दुनिया क्या जाने,
क्या जाने कोई क्या जाने,
मेरी लगी श्याम संग प्रीत, ये दुनिया क्या जाने,
मुझे मिल गया मन का मीत, ये दुनिया क्या जाने…

छवि लगी मन श्याम की जब से,
भई बावरी मैं तो तब से,
बाँधी प्रेम की डोर मोहन से,
नाता तोड़ा मैंने जग से,
ये कैसी पागल प्रीत ये दुनिया क्या जाने,
ये कैसी निगोड़ी प्रीत ये दुनिया क्या जाने,
क्या जाने कोई क्या जाने…

मोहन की सुन्दर सूरतिया,
मन में बस गयी मोहनी मूरतिया,
जब से ओढ़ी शाम चुनरिया,
लोग कहे मैं तो भई बावरिया,
मैंने छोड़ी जग की रीत ये दुनिया क्या जाने,
क्या जाने कोई क्या जाने…

हर दम अब तो रहूँ मस्तानी,
लोक लाज दीनी बिसरानी,
रूप राशि अंग अंग समानी,
हे रत हे रत रहूँ दीवानी,
मई तो गाऊँ ख़ुशी के गीत ये दुनिया क्या जाने,
क्या जाने कोई क्या जाने…

मोहन ने ऐसी बंसी बजायी,
सब ने अपनी सुध बिसरायी,
गोप गोपिया भागी आई,
लोक लाज कुछ काम न आई,
फिर बाज उठा संगीत ये दुनिया क्या जाने,
क्या जाने कोई क्या जाने…

भूल गयी कही आना जाना,
जग सारा लागे बेगाना,
अब तो केवल शाम सुहाना,
रूठ जाये तो उन्हें मनाना,
अब होगी प्यार की जीत ये दुनिया क्या जाने,
क्या जाने कोई क्या जाने…

हम प्रेम नगर की बंजारन,
जप तप और साधन क्या जाने,
हम शाम के नाम की दीवानी,
नित नेम के बंधन क्या जाने,
हम बृज की भोली गंवारनिया,
ब्रह्म ज्ञान की उलझन क्या जाने,
ये प्रेम की बाते है उद्धव,
कोई क्या समझे कोई क्या जाने,
मेरे और मोहन की बातें,
या मै जानू या वो जाने,
क्या जाने कोई क्या जाने…

शाम तन शाम मन शाम हैं हमारो धन,
आठो याम पूछो हमें शाम ही सो काम हैं,
शाम हिये शाम पिए शाम बिन नाही जिए,
आंधें की सी लाकडी आधार शाम नाम है,
शाम गति शाम मति शाम ही हैं प्राणपति,
शाम सुख दायी सो भलाई आठो याम हैं,
उद्धव तुम भये बवरे पाथी ले के आये दोड़े,
हम योग कहा राखे यहाँ रोम रोम शाम है,

क्या जाने कोई क्या जाने,
मेरी लगी श्याम संग प्रीत ये दुनिया क्या जाने…

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